Sunday, August 16, 2020

क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद

Biography by Sahid Chandrasekhar Azad..   Read and live life in hindi language...👇👇 


जन्म: 23 जुलाई, 1906

निधन: 27 फरवरी, 1931
उपलब्धियां:
 भारतीय क्रन्तिकारी, काकोरी ट्रेन डकैती (1926), वाइसराय की ट्रैन को उड़ाने का प्रयास (1926), लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए सॉन्डर्स पर गोलीबारी की (1928), भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्रसभा का गठन किया
चंद्रशेखर आज़ाद एक महान भारतीय क्रन्तिकारी थे। उनकी उग्र देशभक्ति और साहस ने उनकी पीढ़ी के लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में भागलेने के लिए प्रेरित किया। चंद्रशेखर आजाद भगत सिंह के सलाहकार, और एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे और भगत सिंह के साथ उन्हें भारत के सबसे महान क्रांतिकारियों में से एक माना जाता है।
प्रारंभिक जीवन 
चंद्रशेखर आज़ाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के बदर गाँव में हुआ था। उनके पिता पंडित सीताराम तिवारी और माता जगरानी थीं। पंडित सीताराम तिवारी तत्कालीन अलीराजपुर की रियासत में सेवारत थे (वर्तमान में मध्य प्रदेश में स्थित है) और चंद्रशेखर आज़ाद का बचपन भावरा गाँव में बीता। उनकी माता जगरानी देवी की जिद के कारण चंद्रशेखर आज़ाद को काशी विद्यापीठमें संस्कृत अध्यन हेतु बनारस जाना पड़ा।
क्रन्तिकारी जीवन 
चंद्रशेखर आज़ाद 1919 में अमृसतर में हुए जलियां वाला बाग हत्याकांड से बहुत आहत और परेशान हुए। सन 1921 में जब महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की तब चंद्रशेखर आज़ाद ने इस क्रांतिकारी गतिविधि में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्हें पंद्रह साल की उम्र में ही पहली सजा मिली। चन्द्रशेखर आज़ाद को क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेने के लिए पकड़ा गया। जब मजिस्ट्रेट ने उनसे उनका नाम पूछा तो उन्होंने अपना नाम आज़ाद बताया। चंद्रशेखर आज़ाद को पंद्रह कोड़ों की सजा सुनाई गई। चाबुक के हर एक प्रहार परयुवा चंद्रशेखर "भारत माता की जय" चिल्लाते थे। तब से चंद्रशेखर को आज़ाद की उपाधि प्राप्त हुई और वह आज़ाद के नाम से विख्यात हो गए। स्वतंत्रता आन्दोलन में कार्यरत चंद्रशेखर आज़ाद ने कसम खाई थी कि वह ब्रिटिश सरकार के हांथों कभी भी गिरफ्तार नहीं होंगे और आज़ादी की मौत मरेंगे ।
असहयोग आंदोलन के स्थगित होने के बाद चंद्रशेखर आज़ाद और अधिक आक्रामक और क्रांतिकारी आदर्शों की ओर आकर्षित हुए। उन्होंने किसी भी कीमत पर देश को आज़ादी दिलाने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया। चंद्रशेखर आज़ाद ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर ऐसे ब्रिटिश अधिकारियों को निशाना बनाया जो सामान्य लोगों और स्वतंत्रता सेनानियों के विरुद्ध दमनकारी नीतियों के लिए जाने जाते थे। चंद्रशेखर आज़ाद काकोरी ट्रेन डकैती (1926), वाइसराय की ट्रैन को उड़ाने के प्रयास (1926), और लाहौर में लाला लाजपतराय की मौत का बदला लेने के लिए सॉन्डर्स को गोली मारने (1928) जैसी घटनाओं में शामिल थे।
चंद्रशेखर आज़ाद ने भगत सिंह और दूसरे देशभक्तों जैसे सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर ‘हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सभा’ का गठन किया। इसका उद्देश्य भारत की आज़ादी के साथ भारत के भविष्य की प्रगति के लिए समाजवादी सिद्धांतों को लागू करना था।
दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे' ये कथन है भारत की आजादी के वीर नायक चन्द्र शेखर आज़ाद की। आज भारत मां के वीर सपूत चंद्रशेखर आजाद की 113वीं जयंती है। इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें श्रद्धांजली व्यक्त करते हुए कहा कि भारत माता के वीर सपूत चंद्रशेखर आजाद को उनकी जयंती पर मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। वे एक निर्भीक और दृढ़ निश्चयी क्रांतिकारी थे, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने जीवन की आहुति दे दी। उनकी वीरता की गाथा देशवासियों के लिए प्रेरणा का एक स्रोत है। 'आज़ाद' एक ऐसे भारतीय क्रांतिकारी थे जिनकी कहानियां आज भी हमारी पीढ़ियों को प्रेरित करती हैं। आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भावरा गांव में पंडित सीताराम तिवारी और जगरानी देवी के घर हुआ था। भारत के वीर सपूत आजाद ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भवरा में प्राप्त की और उच्च अध्ययन के लिए वाराणसी के उत्तर प्रदेश के एक संस्कृत पाठशाला में प्रवेश लिए। वे बचपन से ही गांधी जी से प्रेरित थे। इस कारण 14 साल की छोटी उम्र में ही वे असहयोग आंदोलन में कूद पड़े।

https://www.haribhoomi.com/news/india/chandra-shekhar-azad-biography-in-hindi-296174#0
मौत 
अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों से चंद्रशेखर आज़ाद ब्रिटिश पुलिस के लिए एक दहशत बन चुके थे। वह उनकी हिट लिस्ट में थे और ब्रिटिशसरकार किसी भी तरह उन्हें जिन्दा या मुर्दा पकड़ना चाहती थी। 27 फरवरी 1931 को चंद्रशेखर आज़ाद इलाहबाद के अल्फ्रेड पार्क में  से मिलने गए। उनके एक मुखबिर ने उनके साथ विश्वासघात किया और ब्रिटिश पुलिस को इसकी सूचना दे दी। पुलिस ने पार्क को चारो ओर से घेर लिया और चंद्रशेखर आज़ाद को आत्मसमर्पण का आदेश दिया। चंद्रशेखर आज़ाद ने अकेले ही वीरतापूर्वक लड़ते हुए तीन पुलिस वालों को मार गिराया। लेकिन जब उन्होंने स्वयं को घिरा हुआ पाया और बच निकलने का कोई रास्ता प्रतीत नहीं हुआ तोभारत माता के इस वीर सपूत ने स्वयं को गोली मार ली। इस प्रकार उन्होंने कभी जिन्दा न पकड़े जाने की अपनी प्रतिज्ञा का पालन किय। उनका नाम देश के बड़े क्रांतिकारियों में शुमार है और उनका सर्वोच्च बलिदान देश के युवाओं को सदैव प्रेरित करता रहेगा।

Thank you for reading who person India freedom fighter 
and try the live life..........


                      Hardik prajapati

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